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सूखे आँसूं

तू मेरे इस ज़हन से जाता क्यों नहीं
ओ चंद परदेशिया तू आता क्यों नहीं?

तेरी याद में रो रो कर सूखे आँसूं,
तू चेहरा अपना दिखाता क्यों नहीं?

तेरे प्यार में पगालों जैसी हालात मेरी,
तू आ के मुझे समझाता क्यों नहीं?

ये ज़ुल्फ़ें सुलझी नहीं हैं कई दिनों से,
तू आ के इन्हें सुलझाता क्यों नहीं?

"निक्क" तेरे बिन मेरा हर श्रृंगार अधूरा,
तू मुझे पहले की तरह सजाता क्यों नहीं?

स्वरचित : निखिल घावरे "निक्क सिंह निखिल"
भोपाल (मध्यप्रदेश)
दिनाँक : 29 जुलाई 2023©

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4 Comments

बेहतरीन अभिव्यक्ति

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nikksinghnikhil

30-Jul-2023 12:39 PM

जी धन्यवाद

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Reena yadav

30-Jul-2023 12:42 AM

👍👍

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nikksinghnikhil

30-Jul-2023 12:39 PM

🙏😊

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